Ya Hakeemu (या हकीमु) - अल्लाह तआला के नाम की फ़ज़ीलत

AL-HAKEEM (अल हकीम) हिकमत वाला

हकीम वह होता है जिसके हुक्म में साफ तौर पर हिकमत हो । आमाल में बुजुर्गी हों । इसलिए अल्लाह का हर हुक्म जो वह अपनी मखलूक के लिए जारी करता है उसमें बन्दे की भलाई होती है ।

कभी कभी अल्लाह के हुक्म बज़ाहिर भले मालूम नहीं होते, लेकिन उन में इन्सानी बेहतरी के लिए बेशुमार अच्छाइयां होती हैं । इन्सान की अक्ल और फिक्र महदूद हैं । इस लिए वह अल्लाह की हर हिकमत को नहीं समझ सकता ।

मगर फिर भी अल्लाह जिसे किसी हद तक इल्म की बारीकी अता करता है । वह हकीम कहलाता है, मगर इन्सान की हिकमत एक हद तक होती है । इस लिए इन्सान अपनी हिकमत में अल्लाह का मोहताज है, लेकिन अल्लाह तअला हिकमत के अता करने में मोहताज नहीं ।

अल्लाह तअला जिसे हिकमत अता फरमाता है । उसे दुनिया में दूसरों से बड़ा और बरतर कर देता है ।

हिकमत का मतलब है बेहतरीन चीज को बेहतरीन इल्स से पहचानना सो अल्लाह ही हकीम है, क्यों कि वह बुजुर्ग तर चीज़ को जानता है और उसका इल्म हमेशा के लिए है, जिस के खत्म होने का ख्याल भी न किया जा सके ।

दुनिया में कभी कभी हकीम उसको भी कहा जाता है, जो बेहतरीन कारीगरी बारीकियां ईजाद करे और कारोबार को मजबूते करे ।

इन्सान का फर्ज है कि वह हिकमत खुदावन्दी को इख्तियार करे, यानी उसके हुक्म पर काम करे और खदा की मन्शा के खिलाफ कोई काम अनजाम न दे । यह दुनिया खत्म और आखिरत बाकी रहने वाली है और दुनिया की दौलत कम है और आखिरत की दौलत बहुत ज्यादा ।

हिकमत और समझ बूझ का काम:

जो शख्स इस नाम को रोजाना 78 बार सोते वक्‍त पढ़ने लगे तो उस पर हिकमत और सूझ बझ की राहें खुल जाएंगी । उसकी समझ बूझ में बेपनाह इज़ाफ़ा होगा ।

इस पर हिकमत और समझ और  इल्म के रास्ते खुल जाते हैं । अगर कोई यह चाहता हो कि उसकी सूझ बूझ में इज़ाफ़ा हो जाए तो वह हर रोज असर की नमाज के बाद 111 बार पढ़कर अल्लाह से दुआ मांगे, इन्शा अल्लाह इस नाम पाक के असर से उसे अकल और सूझ बूझ के खजाने अता होंगे ।

कैद से रिहाई:

अगर कोई शख़्स बिना कसूर गिरफ्तार हो गया हो या कैद में भेज दिया गया हो, तो ऐसे शख्स को चाहिए कि वह “या हकीमु” का बहुत ज़्यादा विर्द (जाप) करे या उस शख्स के घर वाले भी इस नाम मुबारक का विर्द करके दुआ करें तो भी दुरुस्त नतीजा निकलता है ।

एक और आमिल का कौल है कि अगर किसी को बिना कुसूर कैद में डाल दिया गया हो तो वह भी हर नमाज के बाद ग्यारह सौ बार पढ़ कर अल्लाह से इस नाम पाक के वसीला से दुआ मांगे तो उसकी जल्द बाइज्जत रिहाई हो जाएगी ।

कर्ज से रिहाई:

अगर कोई कर्ज के बोझ तले दबा हुआ हो तो इस नाम पाक को हर नमाज के बाद तीन सौ बार पढ़ कर अल्लाह से दुआ मांगे । इन्शा अल्लाह तअला उसके कर्ज की अदायगी की वजह गैब से पैदा होगी और उसको कर्ज़ जल्द अदा हो जाएगा।

मियां बीवी में अन बन का हल:

अगर मियां बीवी में अनबन और लड़ाई झगड़ा रहता हो और औरत चाहती हो कि मियां से नाराजगी ख़त्म हो जाए या मर्द चाहता हो कि बीवी से सुलह हो जाए तो इस नाम को एक हज़ार बार पढ़ें और शीरीनी पर दम करके दोनों को खिलाएं या दोनों में जिसकी ज्यादती हो उसे खिलाएं ।

इन्शा अल्लाह मेल हो जाएगा और मियां बीवी में मुहब्बत पैदा हो जाएगी ।

Ya Jalilu (या जलीलु) – अल्लाह तआला के नाम की फ़ज़ीलत

हाजत पूरी होने के लिए:

अगर कोई “Ya Hakeemu” को 780 बार रोजाना लगातार पढ़ता रहे तो उसकी कोई जरूरत पुरी होने से न रहेगी और जाहिर छुपी हुई तमाम परीशानियां दूर होंगी ।

एक और कौल के मुताबिक अगर किसी की कोई जाइज मुराद पूरी न होती हो तो वह वजू की हालत में यकसूई ( एकांत, तनहाई) के साथ इस नाम पाक को खूब पढ़े इन्शा अल्लाह तअला दिली मुराद बहुत जल्द पुरी हो जाएगी ।

मुश्किलात के हल के लिए:

अगर किसी को कोई परीशानी या मुश्किल पेश हो और उसे उसका कोई सही हल नजर न आता हो तो उसे चाहिए की इस नाम को 7000 मर्तबा रोज़ाना 21 दिन तक पढ़ें और हर रोज पढ़ चुकने के बाद दो रकअत नमाज पढ़े उसके बाद अल्लाह के हुजूर सजदे में जाकर अपनी मुश्किल के हल की इल्तिज़ा करे इन्शा अल्लाह मुश्किल हल हो जाएगी।

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