Islamic Abbreviation meaning in Hindi
जब भी आप कोई इस्लामिक किताब या कोई इस्लामिक ब्लॉग पढ़ते है तो जरूर ही अपने कुछ नामों के आगे ये शब्द लिखे हुए देखे होंगे जैसे – सल्ल0 या अलै0 या रज़ि0 (in English books – SAW, PBUH, A.S., R.A)
ये सभी पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल0) और उनके साथियों (जिन्हे हिंदी में ‘सहाबा’ और इंग्लिश में ‘Companions’ कहा जाता है) के नाम पढ़ने के शिष्टाचार और Short-form है।
Islamic Abbreviation | Hindi | English |
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(सल्ल0) या (SAW) या PBUH | उनके ऊपर अल्लाह की सलामती और कृपा हो | Allah bless him and grant him peace |
(अलै0) या (A.S.) | उनके ऊपर सलामती हो | peace be on him |
(रज़ि0) या (R.A.) | उनसे अल्लाह प्रसन्न हुआ | May Allah be pleased with him |
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (सल्ल0) या (SAW) या PBUH
पैग़म्बर मुहम्मद का नाम आने पर ‘सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम’ ‘(ﷺ)’ कहना चाहिए । जिसका अर्थ होता है – ‘उनके ऊपर अल्लाह की सलामती और कृपा हो’।
इंग्लिश जानने और समझने वाले पैग़म्बर मुहम्मद का नाम आने पर (PBUH) का प्रयोग करते है जिसकी full form होती है –
Peace be upon him
जब भी पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल0) के नाम का उल्लेख हो तो मुसलमानों के लिए अनिवार्य है कि आप पर दुरूद भेजें । इसीलिए जब आप (सल्ल0) का नाम आता है तो यह दुआ “सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम”’ (उनके ऊपर अल्लाह की सलामती और कृपा हो) लिखी जाती है ।
चूँकि प्रस्तुत ब्लॉग मुसलमानों और गैर मुस्लिमों समेत पाठकों के व्यापक समूह को सम्वोधित है अतः हम दुरुद (जैसा कि साधारण मुसलमान कहते हैं) के स्थान पर (सल्ल0) लिखना पर्याप्त समझते हैं ताकि जब इसे पढ़ें तो अपने दिल में दुरुद पढ़ लें ।
पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद (सल्ल) का जन्म और शुरुआती साल
पैग़म्बर मुहम्म्द (सल्ल0) के लिए जो दुआएँ पढ़ी जाती हैं उनसे इस इस्लामी विश्वास को बल मिलता है कि मुहम्मद (सल्ल0) पूज्य नहीं हैं बल्कि एक मनुष्य है यद्यपि आप मानवता के नायक हैं और संपूर्ण मानवता के लिए पैग़रम्वर हैं: और आपको भी अल्लाह की दया और कृपा की आवश्यकता है।
यह अति महत्वपूर्ण दुआ है जो मुसलमानों के मन में पैग़म्वर (सल्ल0) की प्रतिष्ठा का स्मरण कराती है और उन्हें चेतावनी देती है कि वह पैग़म्बर को किसी भी तरह पूज्य का स्थान प्रदान करने या अल्लाह के समकक्ष ठहराने से बचे । यह मौलिक रूप से “एकत्ववाद” के इस्लामी मौलिक विश्वास की रक्षा करती है।
अलैहिस्सलाम (अलै0) या (A.S.)
अन्य पैग़म्बरों और फरिश्तों को अलैहिस्सलाम (अलै0) (आप पर कृपा हो) कहना चाहिए। अरबी कथन “अलैहिस्सलाम” का अर्थ है “उनके ऊपर सलामती हो”।
यह एक सम्मान जनक वाक्यांश है जिसे पैग़म्बरों का नाम सुनने या पढ़ने के बाद बोला जाता है। इस ब्लॉग में इसके स्थान पर संक्षेप में हम (अलै0) लिखेंगे क्योंकि मुसलमान जब पेगम्वरों का नाम पढ़ते या सुनते हैं तो दिल में यह दुआ पढ़ लेते है । उदाहरण के लिए पैग़म्बर इब्राहीम (अलै0) ।
यह कुरआन के इस आदेश के पालन में भी पढ़ा जाता है कि “मुसलमान पेगम्बरों की प्रतिष्ठा में अन्तर नहीं करते ।”
रज़ि अल्लाहु तआला अन्हु (रज़ि0) या (R.A.)
पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल0) के साथियों (सहाबा) के लिए ‘रज़ि अल्लाहु तआला अन्हु (रज़ि0)’ का प्रयोग किया जाता है जिसका मतलब होता है ‘उनसे अल्लाह प्रसन्न हुआ’।
पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल0) के साथियों के नाम का उल्लेख होने पर दुआ पढ़ना मुसलमानों से अपेक्षित हैं इसीलिए किताबों में जहाँ भी यह नाम आता है इसके बाद रज़ि अल्लाहु तआला अन्हु लिखा जाता हैं ।
इस ब्लॉग में रज़ि अल्लाहु तआला अन्हु के स्थान पर (रज़ि0) लिखने को पर्याप्त समझा जा रहा क्योंकि मुस्लिम पाठक जानते हैं कि सहाबा का नाम आने पर दिल में यह दुआ पढ़ना है। उदाहरण के लिए इमाम हुसैन (रज़ि0)