AL-BARR (अल-बर) बड़ा अच्चा सुलूक करने वाला
अल्लाह तअला खुद सरासर नेकी वाला है उसकी ज़ात, खूबी और इस़्तियारात से हिकमत और नेकी झलकती है । इस लिए उसे बर्र कहा जाता है इसके अलावा अल्लाह तआला अपनी मखलूक पर हर तरह की नेकी करता है और अपने बन्दों को नेकियां करने की तौफीक देता है, क्यों कि कोई नेक काम उसकी तौफीक के बगैर अनजाम नहीं पा सकता ।
इस लिहाज से भी वह बर्र है, जिन बन्दों को अल्लाह तअला अपनी खूबी की बिना पर नेकी का मज़हर (तमाशा गाह) बनाता है उन्हें अबरार (परहेजगार) कहा जाता है ।
ऐसे लोगों की हर बात और काम से नेकी फूटती है । इस नाम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि जो शख्स उसे इस नाम से पुकारता है अल्लाह तअला उसे ज़िन्दगी के हर सैदान में नेक काम करने की तौफीक देता है।
नेअमतों की बारिश:
जो शख्स “या बर्रु (Ya Barru)” का कसरत से जिक्र करता है अल्लाह तआला उस पर अपनी नेअमतों की बारिश कर देता है । उसकी ज़िंदगी में खुशी पैदा कर देता है।
उसकी तबीअत में नेंकी को कूट कूट कर भर देता है । वह हर एक से अच्छा सुलक करता है । एक अल्लाह के बन्दे का कौल है कि जो इस नाम को कसरत से पढ़कर बाद में जो दुआ मांगे वह कबूल होगी ।
इस नामे मुबारक का जो शख्स अक्सर विर्द करता रहता है अल्लाह तअला उसे गमे रोजगार से बचाए रखता है और हमेशा उसके रिज्क रोजी के ज़रीये को बहाल बौर बरकरार रखता है।
बुरी आदतों का इलाज:
जो शख्स बुरी आदतों में फंस गया हो शराब, जुऐ और बदकीरी जैसी बुरी आदतों में शामिल हो गया हो या हीरोइन (Drugs) का आदी बन गया हो ।
ऐसे शख्स के लिए 1100 बार इस नाम को पढ़कर पानी दम करें । कुछ पानी उसे पिलाएं और कुछ उसके कपड़ों पर छिड़कें। 40 दिन तक यह काम करें, इनशा अल्लाह उसकी हर बुरी आदत खत्म हो जाएगी। “या बर्रु” का विर्द करने वाला शख्स शैतानी वसवसों और बुरी आदतों से बचा रहता है।
आफतों से बचने का अमल:
हज़रत सुलतानुल आरिफीन हज़रत सुलतान बाहु (रह०) ने फ़रमाया है कि जो शख्स आफ़तों से डरता हो, अगर वह इस नाम को पढ़ता रहे तो अमन में रहेगा।
जो शख्स सात बार पढ़कर बच्चे पर दम करके सुपूर्द करदे तो वह बच्चा जवानी तक अमन में रहेगा और जो शख्स शराब और जिनो में मुब्तिला हो वह हर रोज़ सात बार पढ़कर अपने ऊपर दम करे तो शैतानी कामों से बचा रहेगा।
इस नामे मुबारक को कसरत से पढ़ते रहने से अल्लाह तअला ज़िक्र करने वाले को सारी ज़िन्दगी आफतों से महफूज़ रखता है । अगर कोई तूफान या आन्धी वगैरह से डरता हो उसे चाहिए कि वह कसरत से यह नामे मुबारक पढ़े । इनशा अल्लाह तअला उसका खौफ और डर खत्म हो जाएगा।
शैतान की बुराई से हिफाजत:
अगर कोई यह चाहे कि अल्लाह तअला उसे शैतान की बुराई से महफूज़ रखे तो वह हर नमाज़ के बाद 100 बार यह नामे मुबारक बहुत ही ध्यान के साथ पढ़े तो अल्लाह तअला नेक काम करनें की तौफीक देगा और शैतानी वसवसों को दिल से दूर कर देगा ।
नेक आदतों का पैदा होना:
इस नाम का विर्द करने वाला शख्स अल्लाह के फ़ज़्ल से नेक आदत, रहम दिल, सखी और खुश अखलाक बन जाता है और अल्लाह तअला उसे लोगों में मकबूल बना देता है ।
इस नामे इलाही के विर्द से बन्दा आफतों के खौफ़ और डर से आजाद हो जाता है और वह हमेशा अमनो सुकून में रहता है।
Ya Wasiu (या वासिउ) – अल्लाह तआला के नाम की फ़ज़ीलत
सफर से हिफाजात के साथ आना:
जो शख्स किसी सफर प्र जाए और सफर के आगाज़ (शुरूआत) में इस नाम को 100 बार पढ़े अगर हो सके तो सफर के दौरान भी इसे कसरत से पढ़े ।
इनशा अल्लाह वह सफर की हर तरह की मुसीबतों से बिल्कुल महफूज़ रहेगा और अपनी मन्जिल पर हिफाजत के साथ पहुंचेगा और अमन से वापस आएगा ।
इस लिए इस नाम के पढ़ने से सफर में आसानी भी पैदा हो जाती है। जहाज या कश्ती किसी तूफान में फंस जाए तो सवारियों को चाहिए कि इस नाम को विर्द करें इनशा अल्लाह कश्ती या जहाज गर्क (इूबना) होंने से बच॑ जाएगा ।
बुरी नज़र से हिफाज़त:
अगर किसी बन्दे या बच्चे को नज़र लग जाती हो तो 111 बार “या बर्रु” पढ़कर पानी दम करके उसे पिलाएं और इस नाम का नक्श उसके गले में डोल दें। इनशा अल्लाह बच्चे को कभी नज़र नहीं लगेगी और वह हमेशा अल्लाह की पनाह में रहेगा ।
इसके अलावा अगर किसी चीज पर भी दम करेंगे तो उसे भी नज़र नहीं लगेगी । अगर कोई शख्स “’या बर्रु” को सात बार पढ़कर किसी बच्चे पर दम कर दे तो वह बच्च जवान होने तक हर तरह की आफतों और मुश्किलों से बचा रहता है।