Ya Muqtadiru (या मुक़्तदिरु) – अल्लाह तआला के नाम की फ़ज़ीलत

AL-MUQTADIR (अल मुक्तदिर) पूरी कुदरत रखने वाला

अल्लाह मुक़्तदिर है यानी कायनात में सबसे ज्यादा इक्तिदार और ताकत वाला अल्लाह ही है । तमाम चीज़ें उसके कब्ज़ा-ए-कुदरत में हैं । कोई बन्दा और कोई मखलूक उसके हुक्म और तौफीक के बगैर किसी काम पर इख़्तियार और कोई कुदरत नहीं रखती क्योंकि हर चीज पर अल्लाह की ताकत मुसल्ल्लत है ।

इस लिहाज़ से तमाम मौजूदात का इन्तिजाम अल्लाह के हाथ में है और जो वह करना चाहता है कर लेता है । इस नाम के जिक्र से अल्लाह तअला अपनी कुदरतों का मुशाहिदा करवाता है और ऐसे कामो में जब अल्लाह से मदद मांगता है कि जिन का तअल्लुक अल्लाह तअला की कुदरत से होता है तो उसकी फौरन मदद होती है और वह काम सर अन्जाम पा जाते हैं ।

कुछ अहले इल्म लोगों ने कादिर और मुक्तदिर के मअनी में फर्क किया है । वह फरमाते हैं कादिर वह ज़ात है जो मअदूम को वुजूद में लाने और मौजूद को मअदूम करने पर कदरत रखती हो और मुक़्तदिर वह ज़ात है जो तमाम मौजूदात का इन्तिज़ाम और इस्लाह करती हो ।

Ya Raqeebu (या रक़ीबु) – अल्लाह तआला के नाम की फ़ज़ीलत

यहां तक कि इसके अलावा इस इन्तिज़ाम पर कोई कादिर न हो। बन्दों को जो अल्लाह तअला की तरफ से इक्तिदार मिलता है वह नाकिस होता है ।

हर लिहाज़ से कामिल इक्तिदार अल्लाह तअला ही का है इस नाम की बिना पर इन्सान को चाहिए कि दुनिया की लज्जत को छोड़ कर अपने नफ्स की ख़्वाहिशात पर काबू हासित करे ताकि ज़्यादा से ज्यादा वक़्त इस कादिरे मुतलक की इताअत में सर्फ कर सके और हर काम में खुदा तअला की जात पर भरोसा रखे और अपनी तदबीर व मेहनत पर नाज न हो ।

इस नामे मुबारक के कुश फ़ायदे नीचे लिखे हैं।

मुश्किल से मुश्किल काम का हल:

हर शख्स की जिन्दगी में कभी ऐसा मुश्किल वक्‍त भी आ जाता है जब अपने बेगाने और दोस्त अहबाब सब साथ छोड़ जाते हैं ।

तो ऐसे मुश्किल वक्‍त में सिर्फ अल्लाह की ज़ात साथ देती है और इस नाम के पुकारने से मुश्किल से मुश्किल काम भी हल हो जाता है ।

लिहाज़ा जिस शख्स को कोई मुश्किल दरपेश हो तो उसे चाहिए कि इस नाम को दिन रात पढ़े । अगर हो सके तो 21 हज़ार की तादाद रोज़ाना पुरी करे और उस वक़्त तक पढ़ता रहे जब तक कि मुश्किलि हल न हो । इनशा अल्लाह इस नाम की बरकत से मुश्किलें से मुश्किल काम भी हल हो जाएगा ।

दुशमन और जालिम पर गिरफ्त:

इस नाम में दुशमन और जालिम पर ग़लबा पाने की भी बहुत तासीर है । इस लिए ज़ालिम को जुल्म से बाज़ रखने के लिए और दुशमन को हराने के लिए इस नाम को जुमेरात और जुमे की दरमियानी रात में इशा की नमाज़ के बाद 7 हजार बार पढ़ें ।

उसके बाद ज़ालिम के जुल्म से बचने की दुआ करें, इनशा अल्लाह दुशमन और ज़ालिम पर ग़लबा हासिल होगा । इसी तरह अगर 1001 बार अस्र की नमाज़ के बाद पढ़े तो अल्लाह उसके दुशमन को भी हरा देता है।

साहिबे इक्तिदार बनने का अमल:

इक्तिदार चाहे सियासी हो या समाजी या किसी भी डिपार्टमेन्ट में हो उसे हासिल करने के लिए इसका विर्द मुजरिब है ।

इस लिए जो शख्स इलेक्शन में किसी कुर्सी के लिए इंतिखाब लड़ रहा हो उसे चाहिए कि इस नाम को रोज़ाना 3720 बार ग्यारह दिन तक पढ़े । इनशा अल्लाह इलेक्शन में कामयाब होगा और इक्तिदार हासिल होगा।

कबूलियते दुआ:

अगर कोई शख्स एक हज़ार बार “Ya Muqtadiru (या मुक़्तदिरु)” इशा की नमाज़ के बाद पढ़े और अपने खुदा से दुआ करे तो खुदा उस की हर दुआ कबूल करता है।

लोगों के दिलों में इज्जत पैदा होना:

जब समाज में तमाम लोग खिलाफ हो जाएं तो ऐसी सुरतेहाल में यह नामे मुबारक कसरत से पढ़ते रहने से बिगड़े काम संवर जाते हैं ।

रास्ते की तमाम मुश्किलें दूर जो हाती हैं लोगों के दिल में हमदर्दी और हुस्न अखलाक का जज़्बा पैदा हो जाता है और जिक्र करने वाले की इज्जत लोगों के दिल में पैदा हो जाती है।

नफ्स पर काबू पाना:

अपने नफ्स पर काबू हासिल करने के लिए इशा की नमाज़ के बाद 1001 बार इस नाम मुबारक को पढ़ना मतलूबा मकसद में कामयाबी देता है।

हर मरज से शिफा:

इस नाम का ज़िक्र बीमारी की शिफा के लिए भी बहुत अक्सीर है । लिहाज़ा बीमारियों की शिफायाबी के लिए इस नाम को रोजाना 1100 बार पढ़कर पानी पर दम करके बीमार को ग्यारह दिन तक पिलाएं ।

इनशा अल्लाह सेहतयाबी हासिल होगी । अगर मरीज़ यह वजीफा खुद पढ़े तो ज्यादा बेहतर होगा।

सुस्ती और कमजोरी दूर करना:

सुस्ती और कमजोरी को दूर करने की ग़रज़ से सुबह की नमाज के बाद 121 बार यह इस नामे मुबारक पढ़ने से जिस्म को ताकत मिल जाती है और सुस्ती जाती रहती है ।

अगर कोई शख्स सुस्त हो और बहुत ज्यादा सोता हो तो उसे चाहिए कि इस नामे मुबारक का विर्द इख़्तियार करे । कुछ ही दिनों में सुस्ती दूर हो जाएगी ।

1 Comments

  1. very nice information which motivated me to the core

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