AL-MUHSEE (या मुहसियु) - अल्लाह तआला के नाम की फ़ज़ीलत

AL-MUHSEE (अल मुह्सी) गिनने वाला

खुदा के इल्म ने दुनिया की हर चीज को घेरा हुआ है । इस लिए इसे ‘मोहसी’ कहा जाता है । मोहसी का लफ्ज़ अहसा से बना है, जिसका मतलब घेर लेना होता है ।

इस लिए कोई चीज खुदा के कब्जा-ए-कुदरत से बाहर नहीं और हर चीज़ की हद, इन्तिहा, तादाद और कैफियत उसके इल्म में है । यह सिफत खुदा के सिवा किसी में नहीं क्यों कि इन्सानी इल्म महदूद है और खुदा का इल्म ला महदूद ।

इस लिए उसकी ज़ात ने हमारे हर तरफ हर चीज को घेरे में लिया हुआ है और उसकी यही सिफत मोहसी है।

कुछ का कहना है कि असल में इस सिफत का तअल्लुक चीज़ों को गिनती करने से है यानी दुनिया में जो भी चीजें हैं उनकी गिनती खुदा के इल्म में है ।

वही जानता है कि उनकी लम्बाई चौड़ाई और कैफियत क्या है इस लिए जो शख्स खुदा को उसकी सिफ़त से पुकारता है खुदा उस में अकल की ताकत को ज्यादा कर देंता है ।

लापता को वापस लाना:

अगर किसी शख्स का कोई अजीज या बच्चा खो गया हो तो उसे चाहिए कि वह शख्स और उसके घर वाले “या मुहसियु” का कसरत से विर्द करें, खुदा ने चाहा तो वह खोया हुआ जल्द ही वापस घर आ जाएगा।

कब्र के अजाब से छटकारा पाना:

इस नाम को कसरत से पढ़ने से कब्र में राहत मिलेंगी, उसका हिसाब किताब आसानी से अन्जाम पाएगा। हिसाब किताब के वक्‍त उसकी नेकियों का पलड़ा भारी होगा और वह जन्नत वालों में से होगा ।

एक आमिल का कौल है कि इस नाम को जुमे की रात में एक हजार मर्तबा पढ़ां जाए तो उसके हिसाबे आखिरत में आसानी होगी।

Ya Barru (या बर्रु) – अल्लाह तआला के नाम की फ़ज़ीलत

अक्ल में इज़ाफ़ा:

“या मुहसियु” का कसरत से विर्द करने वालों को खुदा और भी नेअमतों से नवाज़ता है । खुदा अक्ल में इजाफा कर देता है । दूर तक देखने की ताकत मिलती है।

यहां तक कि उसके विर्द करने से अक्ल में इजाफा होता है और दूर बीनी से काम लेने की ताकत अता होती है । ऐसे ही इस नामे मुबारक का विर्द करने वाला भूल और ग़ल्ती करने से बचा रहता है, इस लिए वह अक्सर नुकसान से भी बच जाता है ।

खुदा की पनाह में रहने का अमल:

एक आमिल का कौल है कि जो शख्स इसे सुबह की नमाज के बाद रोज़ाना दस बार पढ़े वह सारा दिन खुदा की हिफाजत में रहेगा। यानी वह शैतानी हमलों से खुदा की पनाह में रहेगा, क्योंकि इस नाम का तअल्लुक हिफाजत से भी है ।

इस लिए उसे कसरत से पढ़ना हिफाज़त के असर का हामिल है । जो शख्स सुबह की नमाज़ के बाद हर रोज़ दस बार इस नामे मुबारक का विर्द करेगा वह हमेशा अमनो अमान और खुदा की पनाह में रहेगा । खुदा उसकी हिफाज़त करता रहेग़ा।

दुशमनों से महफूज रहना:

खुदा दुशमनों को हर तरफ से घेरने वाला है। इस लिए अगर कोई शख्स इस नामे मबारक “Ya Muhsiyu” का विर्द करना अपना रूटीन बना लेगा तो खुदा उसे हमेशा दुशमनों से महफूज रखेगा ।

अगर कोई शख्स हर रोज़ असर की नमाज़ के बाद एक सौ बार “या मुहसियु” का विर्द करके दुआ मांगे तो खुदा उसे दुशमनों की साजिशों और बुरे इरादों से बचाए रखता है ।

लोगों को अपनी तरफ करना:

जो शख्स लोगों के दिलों को माइल करने की गरज से “या मुहसियु” का विर्द करना अपनी रूटीन बना लेता है वह अपने ऐबों और दुसरों की भलाई पर ज्यादा तवज्जोह देने लगता है और वह सारी उमर अपने गुनाहों पर तौबा करता रहता है और लोग उसकी तरफ तवज्जोह देने लगते हैं ।

रूहानी बीमारी का इलाज:

जिस शख्स की तबीअत में जलन, गुरूर, कीना, गजब, लालच, खुदनुमाई और बात बात पर गुस्सा आनें की बुरी आदतें हों । उसे चाहिए कि इस नामे मुबारक को 3125 बार रोज़ाना 40 दिन तक पढ़े और फिर रोज़ाना सुबह की नमाज़ के बाद एक सौ बार पढ़ने का रूटीन बना ले।

खुदा ने चाहा तो उसकी तबीअत में मुस्तकिल मिज़ाजी पैदा हो जाएगी और बुरी आदतें जिन का तअल्लुक्‌ रूह से है खत्म हो जाएंगी । इस लिहाज से यह नामे मुबारक रूहानी बीमारियों के इलाज के लिए बहुत फाइदेमन्द है ।

जो शख्स हर रात सोने से पहले दस बार इस नाम को पढ़कर सोए खुदा उसे बुरे ख्यालात, डरावने ख़्वाबों और बला से बचाए रखता है।

दौलतमन्द बनने का वजीफा:

जो शख्स तीन साल तक रोजाना तीन हजार बार यह वज़ीफा पढ़ता रहे । खुदा ने चाहा तो वह दौलतमन्द बन जाएगा और खुदा उसे दुनिया की तमाम नेअमतों से नवाज़ेगा । हर मिलने वाला उससे इज्जत से पेश आएगा ।

दुशमन का मुरीद होना:

जो शख्स सुबह की नमाज़ के बाद रोज़ाना एक सौ बार इस का विर्द करेगा दुशमन भी उसके सामने आएगा तो कोई नकसान नहीं पहुंचाएगा, वह बुराई से पेश नहीं आएगा और उसके सामने नीची निगाह करके चला जाएगा ।

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