मुसलमान सूअर का मांस क्यों नहीं खाते है | इस्लाम में सूअर का मांस हराम (निषेध) क्यों है

मुझसे अक्सर ये प्रश्न पूछा जाता है कि “इस्लाम में सूअर का मांस खाना क्यों मना है?”

इस वास्तविकता से सब परिचित हैं कि इस्लाम में सूअर का मांस हराम है, नीचे इसके कुछ ख़ास और अहम पहलुओं पर प्रकाश डाला गया

सूअर के मांस का कुरान में निषेध

कुरान में कम से कम चार जगहों पर सूअर के मांस के प्रयोग को हराम और निषेध ठहराया गया है। देखें पवित्र कुरआन 2:173, 5:3, 6:145 और 16:115

पवित्र कुरान की निम्न आयत इस बात को स्पष्ट करने के लिए काफ़ी है कि सूअर का मांस क्यों हराम किया गया है :

“तुम्हारे लिए (खाना) हराम (निषेध) किया गया मुर्दार
ख़ून, सूअर का मांस और वह जानवर जिस पर अल्लाह के
अलावा किसी और का नाम लिया गया हो ।”

(कुरआन, 5:3)

बाइबल में सूअर के मांस का निषेध

ईसाइयों को यह बात उनके धार्मिक ग्रंथ के हवाले से समझाई जा सकती है कि सूअर का मांस हराम है। बाइबल में सूअर के मांस के निषेध का उल्लेख लैव्य व्यवस्था (Book of Leviticus) में हुआ है

“सूअर जो चिरे अर्थात फटे खुर का होता है, परन्तु पागुर
नहीं करता, इसलिए वह तुम्हारे लिए अशुद्ध है।”
“इनके मांस में से कुछ न खाना और उनकी लोथ को छूना
भी नहीं, ये तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं”

(लैव्यव्यवस्था, 11/7-8)

इसी प्रकार बाइबल के व्यवस्था विवरण (Book of Deuteronomy) में भी सूअर के मांस के निषेध का उल्लेख है :

“फिर सूअर जो चिरे खुर का होता है, परंतु पागुर नहीं
करता, इस कारण वह तुम्हारे लिए अशुद्ध है। तुम न तो
इनका मांस खाना और न इनकी लोथ छूना ।”

(व्यवस्था विवरण, 14/8)

सूअर का मांस बहुत से रोगों का कारण है


ईसाइयों के अलावा जो अन्य गैर-मुस्लिम या नास्तिक लोग हैं वे सूअर के मांस के हराम होने के संबंध में बुद्धि, तर्क और विज्ञान के हवालों ही से संतुष्ट हो सकते हैं। सूअर के मांस से कम से कम सत्तर विभिन्न रोग जन्म लेते हैं।

किसी व्यक्ति के शरीर में विभिन्न प्रकार के कीड़े (Helminths) हो सकते हैं, जैसे गोलाकार कीड़े, नुकीले कीड़े, फीता कृमि आदि। सबसे ज्यादा घातक कीड़ा Taenia Solium है जिसे आम लोग Tapeworm (फ़ीता कृमि कीड़े) कहते हैं।

यह कीड़ा बहुत लंबा होता है और आँतों में रहता है। इसके अंडे खून में दाखिल होकर शरीर के लगभग सभी अंगों में पहुँच जाते हैं। अगर यह कीड़ा दिमाग में चला जाता है तो इंसान की स्मरण शक्ति समाप्त हो जाती है।

अगर वह दिल में दाखिल हो जाता है तो हृदय गति रुक जाने का कारण बनता है। अगर यह कीड़ा आँखों में पहुँच जाता है तो इंसान की देखने की क्षमता समाप्त कर देता है। अगर वह जिगर में चला जाता है तो उसे भारी क्षति पहुंचाता है।

इस प्रकार ये कीड़ा शरीर के अंगों को क्षति पहुँचाने की क्षमता रखता है। एक दूसरा घातक कीड़ा Trichiura Trichuris है ।

सूअर के मांस के बारे में एक भ्रम यह है कि अगर उसे अच्छी तरह पका लिया जाए तो उसके भीतर पनप रहे उपरोक्त कीड़ों के अंडे नष्ट हो जाते हैं।

अमेरिका में किए गए एक चिकित्सीय शोध में यह बात सामने आई है कि चौबीस व्यक्तियों में से जो लोग Trichiura Trichuris के शिकार थे, उनमें से बाईस लोगों ने सूअर के मांस को अच्छी तरह पकाया था।

इससे मालूम हुआ कि सामान्य तापमान में सूअर का मांस पकाने से ये घातक अंडे नष्ट नहीं हो पाते ।

सूअर के मांस में मोटापा पैदा करने वाले तत्व पाए जाते हैं

सूअर के मांस में पुट्ठों को मजबूत करने वाले तत्व बहुत कम पाए जाते हैं, इसके विपरीत उसमें मोटापा पैदा करने वाले तत्व अधिक मौजूद होते हैं।

मोटापा पैदा करनेवाले ये तत्व खून की नाड़ियों में दाखिल हो जाते हैं और हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) और हार्ट अटैक (दिल के दौरे) का कारण बनते हैं।

इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि पचास प्रतिशत से अधिक अमेरिकी लोग हाइपरटेंशन (अत्यन्त मानसिक तनाव) के शिकार हैं । इसका कारण यह है कि ये लोग सूअर का मांस प्रयोग करते हैं ।

सूअर दुनिया का सबसे गंदा और घिनौना जानवर है

सूअर ज़मीन पर पाया जाने वाला सबसे गंदा और घिनौना जानवर है। वह इंसान और जानवरों के बदन से निकलने वाली गंदगी को सेवन करके जीता और पलता-बढ़ता है।

इस जानवर को ख़ुदा ने अपनी धरती पर गंदगियों को साफ करने के उद्देश्य से पैदा किया है। गाँव और देहातों में जहाँ लोगों के लिए आधुनिक शौचालय नहीं हैं और लोग इस कारणवश खुले वातावरण (खेत, जंगल आदि) में शौच आदि करते हैं, अधिकतर यह जानवर सूअर ही इन गंदगियों को साफ करता है।

कुछ लोग यह तर्क प्रस्तुत करते हैं कि कुछ देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया में सूअर का पालन-पोषण अत्यंत साफ-सुथरे ढंग से और स्वास्थ्य सुरक्षा का ध्यान रखते हुए अनुकूल माहौल में किया जाता है।

यह बात ठीक है कि स्वास्थ्य सुरक्षा को दृष्टि में रखते हुए अनुकूल और स्वच्छ वातावरण में सूअरों को एक साथ उनके बाड़े में रखा जाता है।

आप चाहे उन्हें स्वच्छ रखने की कितनी भी कोशिश करें लेकिन वास्तविकता यह है कि प्राकृतिक रूप से उनके अंदर गंदगी पसंदी मौजूद रहती है। इसलिए वे अपने शरीर और अन्य सूअरों के शरीर से निकली गंदगी को सेवन करने से नहीं चूकते ।

करोड़ों लोग खाते है सुअर का मांस

अब प्रश्न ये उठता है कि जब इस मांस में इतनी सारी बुराई है तो जो लोग इसे खाते है वो बीमार क्यूं नहीं पड़ते हैं?

इसका जवाब मैं कुछ इस तरह देना चाहूंगा की अगर सुअर के मांस में अगर लाख अच्छाई भी ही होती तब भी मुसलमान इसे नही खाता क्योंकि अल्लाह ने जिस चीज को हराम कह दिया तो कोई दूसरी दलील महत्व नहीं रखती।



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