इस्लाम में हलाल और हराम (वैध और अवैध) किसे कहते है ? आसान भाषा में समझें


इस्लाम अपने अनुयायियों को, अपने जीवन में पालन करने के लिए, विस्तृत दिशा-निर्देश के साथ आचार संहिता प्रदान करता है। जिन चीज़ों को करने, खाने या सम्पन्न करने की अनुमति दी गयी है उन्हें हलाल कहा जाता है ।

जबकि वह चीजें जिन्हें इस्लाम की आचार संहिता के अन्दर निषेध किया गया है उन्हें हराम या अवैध के नाम से जानते हैं। हराम चीजें खाने और हराम कर्म करने से अल्लाह नाराज होता है और ऐसे लोगों को कुरान में बहुत अधिक फटकारा गया है।

इन चीजों को गुनाह कहा जाता है मुसलमानों को इन गुनाहों से दूर रहना चाहिए । उदाहरण के लिए मुसलमान को सूअर खाने या शराब पीने अथवा और किसी नशीले पदार्थ का सेवन करने से रोका गया है।

पहनावे के मामले में मुस्लिम पुरुषों से कहा गया है कि वह सोना और रेशम न पहनें। यद्यपि सोना किसी भी तरह नहीं पहना जा सकता, हाँ, रेशम यदि अन्य धागों, जैसे सूत या ऊन मिलाकर बुना गया हो तो ऐसे कपड़े पहनने की अनुमति है।

हराम और हलाल व्यवहार और कमाई के मामले तक भी विस्तृत है। एक मुसलमान को अपनी जीविका अवैध साधनों जैसे चोरी, धोखा, भ्रष्टाचार, घूसखोरी, अवैध वस्तु, दूसरों के संसाधनों का प्रयोग और जुआ के माध्यम से नहीं कमाना चाहिए ।

कोई भी ईमान वाला जो हराम माध्यमों से कमाई हुई दौलत से लाभ उठाता है या उसपर जीवन व्यतीत करता है वह गुनहगार है। इसी तरह एक ईमान वाले व्यक्ति को व्यभिचार में नहीं पड़ना चाहिए ।

पीठ पीछे बुराई करना, झूठ बोलना, समलैंगिक सम्बन्ध, दूसरों की जासूसी करना, व्यंग करना, दूसरों का मज़ाक उड़ाना आदि व्यवहार की ऐसी प्रवृत्ति हैं जो नापसंदीदा से लेकर हराम कर्मों के बीच में आती हैं ।

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