हज (Hajj): मुसलमानों की वार्षिक तीर्थयात्रा | मुसलमान हज क्यों करते हैं

Hajj क्या होता है और मुसलमान हज क्यों करते हैं?

हज (Hajj or Haj) मानवता का सबसे बड़ा वार्षिक सम्मेलन है, जिसमें पूरी दुनिया के कोने-कोने से लगभग तीस लाख लोग एकत्र होते हैं जो बहुत सी कौमों, नस्लों, भाषाओं और संस्कृतियों का प्रतिनिधित्व करते हैं और ये दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक कर्मकाण्ड को सामूहिक रूप से एक साथ अदा करते हैं।

हज इस्लाम का पाँचवा स्तम्भ है। यह उन लोगों के लिए अपने जीवन में एक बार अल्लाह के घर काबा की यात्रा है, जो यात्रा का खर्च वहन कर सकते हैं। यह इस्लामी कैलेण्डर के बारहवें महीने की 8-13 जिलहिज्जा के दौरान अदा किया जाता है।

मुसलमान हज इसलिए करते है क्यूंकि पवित्र क़ुरान में अल्लाह ने इसका हुक्म दिया है।

“हज और उमरा जो कि अल्लाह के लिए हैं, पूरे करो ।”

(कुरआन, 2:196)

 

हज इस्लाम के सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण तत्वों की गहराईयों का दर्शन कराता है और उस वैश्विक दृष्टिकोण को उभारता है जिसे वह प्रेरित करना चाहता है।

हज में भागीदारी इस्लाम के मार्ग का वास्तविक प्रदर्शन और अनुभव है जो किसी व्यक्ति को समूह का अभिन्न अंग बना देता है।

यह सामूहिकता की और न्याय पर जोर देते हुए एकता की, असाधारण भावना पैदा करता है। हज की एकता नस्ल, संस्कृति, रंग और वर्ग पर आधारित भेदों के उन्मूलन पर आधारित है। 

काबा क्या है?

काबा जो बैतुल्लाह (अल्लाह का घर) के नाम से भी जाना जाता है, घन के आकार की एक एक मंजिला इमारत है।

यह इतिहास का पहला ऐसा घर है जो केवल एक अल्लाह की उपासना के पवित्र उद्देश्य के लिए बनाया था । (कुरआन, 3:96)

काबा मक्का की पवित्र मस्जिद के केन्द्र में एक काले रंग के कपड़े से ढका हुआ काला घन है।

हज के दौरान मुसलमान क्या करते है?

  • सभी हाजी एक ही जैसे कपड़े पहनते हैं, आदर्श रूप से एक राजा या एक करोड़पति किसी साधारण व्यक्ति के साथ-साथ चल सकता है और उसे किसी भेद का एहसास नहीं होगा।
  • पाँच दिन के हज के दौरान पूरी मुस्लिम दुनिया से हाजी मक्का में एकत्र होते हैं, एक साथ इबादत और आज्ञापालन करते हैं और एक साथ लगातार, एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते रहते हैं।
  • पवित्र क्षेत्र में प्रवेश से पहले उनसे अपेक्षा की जाती है कि वह शालीन दशा में रहेंगे। वह अपने सांसारिक विचारों और इच्छाओं को छोड़ देते और एहराम पहनते हैं जो दो बिना सिले सफेद कपड़े के टुकड़े होते हैं।
  • पवित्र क्षेत्र पूरी तरह सम्मानित है और इसमें किसी भी जानवर, पौधें यहाँ तक कि किसी मक्की को हानि नहीं पहुँचा सकते हैं।हज-यात्री हर तरह के अहंकार को छोड़े देते हैं और अपने बालों में कंघा करने, सुंगध लगाने और नाखून काटने से बचते हैं।
  • एक हज यात्री का पूरा अस्तित्व अल्लाह के लिए समर्पित होना चाहिए और अपनी छवि पर कोई ध्यान नहीं देना चाहिए।
  • अल्लाह की मौजूदगी के एहसास के बहुत ही महत्वपूर्ण क्षणों में यह देखते हुए कि मानवता की बड़ी संख्या मौजूद है और यह जानते हुए कि अपने अहंकार का दमन करना है क्योंकि इन अनुभवों के प्रभाव में हम सच्चे दिल से विनम्र होते हैं।
  • तमाम इच्छाओं यहाँ तक कि काम-भावनाओं को भी किनारे कर दिया जाता है। हज-यात्री अल्लाह की खुशी और उसकी दया और क्षमा प्राप्त करने के लिए मक्का आते हैं।
  • जिस क्षण से वह एहराम पहनते हैं, उसी क्षण से वह घोषणा करते हैं, “ऐ मालिक मैं मौजूद हैँ, आपकी पुकार के उत्तर में”।
  • अपनी पूरी यात्रा के दौरान वे अल्लाह की बड़ाई का वर्णन करते हुए “अल्लाह के अतिरिक्त कोई उपासना योग्य नहीं” कहते हुए उसकी प्रशसा करते हैं।

हज की विशेषता

हज इस्लाम की एक अन्य अनोखी विशेषता है।विभिन्‍न उद्देश्यों के अन्तर्गत हज का आदेश दिया गया है जिनमें से कुछ उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

यह ईमान वालों का सबसे बड़ा वार्षिक सम्मेलन हैं जहाँ मुसलमान एक-दूसरे को जानने, अपने एक जैसे मामलों को समझने और सामान्य कल्याण को विकसित करने के लिए मिलते हैं।

यह मानवता के इतिहास में सबसे बड़ा शान्ति सम्मेलन भी है।हज के दौरान शान्ति सबसे महत्वपूर्ण विषय होता है; अल्लाह और अपनी आत्मा के साथ शान्ति, आपस में और जानवरों के साथ शान्ति, पक्षियों और कीड़ों-मकोड़ों के साथ शान्ति। किसी भी तरह से, किसी भी जीवधारी की शान्ति को, किसी भी तरह भंग करना पूरी तरह अवैध है।

यह इस्लाम की व्यापकता और मुसलमानों के बन्धुत्व और समानता का व्यापक प्रदर्शन है। अल्लाह की पुकार का उत्तर देते हुए हर तरह के व्यवसाय और व्यापार करने वाले और हर वर्ग के लोग धरती के हर कोने के मुसलमान मक्का में एकत्र होते हैं।

वे सभी एक ही जैसा साधारण कपड़ा पहनते हैं, एक जैसे नियमों का पालन करते हैं और एक ही समय में एक ही तरीके से एक ही दुआ सभी करते हैं। वहाँ कोई सरदारी नहीं चलती, बल्कि सभी सर्वशक्तिमान अल्लाह के वफादार होते हैं। यहाँ कोई कुलीनता नहीं होती, बल्कि विनम्रता और समर्पण होता है।


यह अल्लाह के प्रति मुसलमानों की वचनबद्धता की पुष्टि करने के लिए है और यह पुष्टि करने के लिए है कि वह उसकी इबादत में अपने सभी भौतिक हितों को छोड़ देने के लिए तैयार हैं।

यह हज करने वालों को पैग़्म्बर मुहम्मद (सल्ल0) के आध्यात्मिक और ऐतिहासिक माहौल से अवगत कराने के लिए है ताकि वे इससे गहरी प्रेरणा प्राप्त कर सकें और अपने ईमान को मज़बूत कर सकें।

हज अदा करने के दौरान आसानी से यह देखा जा सकता है कि यह आध्यात्मिक सम्वर्धन और नैतिक मजबूती, बढ़ी हुई श्रद्धा और अनुशासन का अनुभव, मानवता के हितों और प्रेरणादायक ज्ञान सबकुछ एक साथ इस्लाम की एक ही इबादत में सम्मिलित होता है।

हज का अन्तिम कर्मकाण्ड एक चढ़ावा होता है जिसमें एक मवेशी की कुर्वाभी करनी होती है। हालाँकि यह बात स्पष्ट कर दी गयी है कि: “न उनके माँस अल्लाह को पहुँचते हैं और न उनके रक्त। किन्तु उसे तुम्हार तकवा (धर्मपरायणता) पहुँचता है।” (कुरआन, 22:37)

वह मुसलमान जो मक्का से दूर होते हैं चाहे वे दुनिया के किसी भी हिस्से में हों। ईद के दिन वह भी यही कुर्बानी करते हैं और यही कुर्बानी हज का शिखर या चोटी है। इसलिए इस ईद को कुर्बानी का त्यौहार या ईद-उल अजहा कहा जाता है।

उपसंहार

कुरआन अक्सर इस बात को दुहराता है: “नमाज़ कायम करो और ज़कात दो” शरीर और आत्मा की एकता का इससे बढ़कर और अच्छा प्रदर्शन क्या हो सकता है कि एक ही साँस में एक अल्लाह की इबादत और समाज के प्रति अपने कर्त्तव्यों की अदायगी का आदेश दिया जाए।

आध्यात्मिक कर्तव्य भौतिक लाभों से खाली नहीं होते और सांसारिक कर्तव्यों में भी आध्यात्मिक मूल्य होते हैं। इसके अतिरिक्त सब-कुछ नीयतों और उद्देश्यों पर निर्भर होता है जो उन कर्तव्यों का निर्वाह करने के लिए प्रेरित करती हैं।

इस्लाम के ये पाँच स्तम्भ इस्लाम के व्यापक समुदाय के अन्दर व्यक्तिगत जिम्मेदारी, सामाजिक जागृति और सामूहिक चेतना या सदस्यता की भावना पैदा करते हैं।

इस्लाम धर्म अपनाने का अर्थ एक ऐसे समुदाय की सदस्यता ग्रहण करना है जो एक सच्चे मालिक, सर्वशक्तिमान अल्लाह की इबादत के लिए समर्पित होता है, उसकी मर्जी को लागू करता है और इस प्रकार सामाजिक रूप से एक न्यायपूर्ण समुदाय जन्म लेता है।

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