सूरह जिल्जाल (99) हिंदी में | Az-Zalzalah in Hindi

सूरह जिल्जाल “Az-Zalzalah”
कहाँ नाज़िल हुई:मदीना
आयतें:8 verses
पारा:30

अवतरणकाल

इसके मक्की और मदनी होने में मतभेद है। किन्तु कुरआन को समझ कर पढ़ने वाला हर व्यक्ति यही महसूस करेगा कि यह मक्की है, बल्कि इसकी वार्ता और वर्णन-शैली से उसे यह प्रतीत होगा कि यह मक्का के भी उस आरम्भिक कालखण्ड में अवतरित हुई होगी जब अत्यन्त संक्षिप्त और अत्यन्त हृदयस्पर्शी ढंग से इस्लाम की मौलिक धारणाएं लोगों के समक्ष प्रस्तुत की जा रही थीं।

विषय और वार्ता

इसका विषय है मृत्यु के पश्चात् दूसरा जीवन और उसमें उन सब कर्मों का पूरा कच्चा-चिट्ठा मनुष्य के सामने आ जाना जो उसने संसार में किए थे।

सबसे पहले तीन संक्षिप्त वाक्यों में यह बताया गया है कि मृत्यु के पश्चात् दूसरा जीवन किस प्रकार अस्तित्व में आएगा और वह मनुष्य के लिए कैसा आश्चर्यजनक होगा।

फिर दो वाक्यों में बताया गया है कि यही धरती जिस पर रह कर मनुष्य ने निश्चिन्त भाव के साथ हर प्रकार के कर्म किए हैं, उस दिन अल्लाह के आदेश से बोल पड़ेगी और एक-एक मनुष्य के सम्बन्ध में यह बयान कर देगी कि किस समय और कहाँ उसने क्या काम किया था।

तदान्तर कहा गया है कि उस दिन धरती के कोने-कोने से मनुष्य गिरोह के गिरोह अपनी कब्रों से निकल-निकल कर आएंगे, ताकि उनके कर्म उनको दिखाए जाएं।

और कर्मों की यह प्रस्तुति ऐसी पूर्ण और विस्तृत होगी कि कोई कणभर भलाई या बुराई भी ऐसी न रह जाएगी, जो सामने न आ जाए।

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