सूरह लैल (92) हिंदी में | Al-Layl in Hindi

सूरह लैल “Al-Layl”
कहाँ नाज़िल हुई:मक्का
आयतें:21 verses
पारा:30

नाम रखने का कारण

पहले ही वाक्यांश के शब्द “कसम है रात (अल-लैल) की” को सूरह का नाम दिया गया है।

अवतरणकाल

इस सूरह का विषय सूरह 91 (शम्स) से इतना अधिक मिलता-जुलता है कि दोनों सूरतें एक दूसरे की व्याख्या प्रतीत होती हैं। एक ही बात है जिसे सूरह ‘शम्स’ में तरीके से समझाया गया है और इस सूरह में दूसरे तरीके से। इससे अनुमान होता है कि ये दोनों सूरतें लगभग एक ही समय में अवतरित हुई हैं।

विषय और वार्ता

इसका विषय जीवन के दो विभिन्न मार्गों का अन्तर और उसके अन्त और परिणामों की भिन्नता बतलाना है। विषय की दृष्टि से यह सूरह दो भागों पर आधारित है।

पहला भाग आरम्भ से आयत 11 तक है और दूसरा भाग आयत 12 सूरह के अन्त तक है। पहले भाग में सबसे पहले यह बताया गया है कि मानव जाति के सभी व्यक्ति, जातियाँ और गिरोह दुनिया में जो भी प्रयास और कर्म कर रहे हैं, वे निश्चय ही अपनी नैतिक जातीयता की दृष्टि से उसी तरह भिन्न है जिस प्रकार दिन, रात से और नर, मादा से भिन्न है।

तदान्तर कुरआन की संक्षिप्त सूरतों की सामान्य वर्णन शैली के अनुसार तीन नैतिक विशिष्टताएं एक प्रकार की और तीन नैतिक विशिष्टताएं दूसरे प्रकार के प्रयास एवं कर्म के लिए व्यापक संग्रह में से लेकर उदाहरणस्वरूप प्रस्तुत की गई हैं।

पहले प्रकार की विशिष्टलाएं ये हैं कि आदमी माल दे, ईशभय और संयम अपनाए और भलाई को भलाई माने। दूसरे प्रकार की विशिष्टताएं ये हैं कि वह कृपणता दिखाए, ईश्वर की प्रसन्नता की चिन्ता से बेपरवाह हो जाए और भली बात को झुठला दे।

फिर बताया गया है कि ये दोनों नीतियाँ जो स्पष्टतः एक दूसरे के विपरीत हैं। पहली नीति को जो व्यक्ति या गिरोह अपनाएगा, अल्लाह उसके लिए जीवन के स्वच्छ और सीधे मार्ग को सहज कर देगा, यहाँ तक कि उसके लिए भलाई करना सरल और बुराई करना दुष्कर हो जाएगा।

और दूसरी नीति को जो भी अपनाएगा, अल्लाह उसके लिए जीवन के विकट और कठिन मार्ग को सहज कर देगा, यहाँ तक कि उसके लिए बुराई करना सहज और भलाई करना दुष्कर हो जाएगा।

सूरह के दूसरे भाग में भी इसी प्रकार संक्षिप्त रूप से तीन तथ्यों का उद्घाटन किया गया है। एक, यह कि अल्लाह ने दुनिया के इस परीक्षा स्थल में मनुष्य को बेख़बर नहीं छोड़ा है बल्कि उसने यह बता देना अपने ज़िम्मे लिया है कि जीवन के विभिन्न मार्गों में से सीधा मार्ग कौन सा है।

दूसरा तथ्य, जिसका उद्घाटन किया गया है, यह कि लोक और परलोक दोनों का मालिक अल्लाह ही है। दुनिया माँगोगे तो वह भी उससे ही मिलेगी और आख़िरत (परलोक) माँगोगे तो उसका देने वाला भी वही है। यह निर्णय करना तुम्हारा अपना काम है कि तुम उससे क्या माँगते हो।

तीसरा तथ्य यह उद्घाटित किया गया है कि जो दुर्भाग्यग्रस्त उस भलाई को झुठलाएगो, जिसे रसू (सल्ल0) और (ईश्वरीय) किताब के द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा है उसके लिए भड़कती हुई आग तैयार है और जो ईश्वर से डरने वाला मनुष्य पूर्णतः निस्स्वार्थता के साथ केवल अपने प्रभु की प्रसन्नता के लिए अपना धन भलाई के मार्ग में खर्च करेगा, उसका प्रभु उससे राज़ी होगा और उसे इतना कुछ देगा कि वह प्रसन्न हो जाएगा।

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