सूरह हुमाजा (104) हिंदी में | Al-Humazah in Hindi

सूरह हुमाजा “Al-Humazah”
कहाँ नाज़िल हुई:मक्का
आयतें:9 verses
पारा:30

नाम रखने का कारण

पहली आयत के शब्द “हु-म-ज़ह” (ताना मारने वाला) को इसका नाम दिया गया है।

अवतरणकाल

इसके मक्की होने पर समस्त टीकाकार सहमत है। और इसकी वार्ता और वर्णन-शैली पर विचार करने से प्रतीत होता है कि यह भी मक्का के आरंभिक काल में अवतरित होने वाली सूरतों में से है।

विषय और वार्ता

इसमें कुछ ऐसी नैतिक बुराइयों की निंदा की गई है जो अज्ञान कालीन समाज में धन के लोभी मालदारों में पाई जाती थीं। इस घृणित चरित्र को प्रस्तुत करने के पश्चात् यह बताया गया है कि परलोक में उन लोगों का क्या परिणाम होगा जिनका यह चरित्र है।

ये दोनों बातें ऐसे ढंग से बयान की गई हैं कि जिससे श्रोता की बुद्धि स्वयं इस निष्कर्ष पर पहुंच जाए कि इस तरह के चरित्र का यही परिणाम होना चाहिए और क्योंकि दुनिया में ऐसे चरित्र वालों को कोई दण्ड नहीं मिलता, बल्कि ये फलते-फूलते ही दिखाई पड़ते हैं, इसलिए परलोक का प्रादुर्भाव निश्चय ही अवश्यम्भावी है।

इस सूरह को यदि उन सूरतों के क्रम में रख कर देखा जाए जो सूरह 99 (ज़िलज़ाल) से यहाँ तक चली आ रही हैं, तो आदमी भली-भांति यह समझ सकता है कि मक्का मुअज़्ज़मा के आरम्भिक काल में किस तरीके से इस्लाम की धारणाओं और उसकी नैतिक शिक्षाओं को लोगों के मन में बिठाया गया था।

सूरह हुमाजा (104) हिंदी में

अल्लाह के नाम से जो बड़ा ही मेहरबान और रहम करने वाला है।

  • (1) तबाही है हर उस व्यक्ति के लिए जो (आमने-सामने) लोगों पर ताने मारने और (पीठ पीछे) बुराइयां करने का अभ्यस्त है।
  • (2) जिसने माल इकट्ठा किया और उसे गिन-गिन कर रखा।
  • (3) वह समझता है कि उसका माल हमेशा उसके पास रहेगा।
  • (4) हरगिज़ नहीं, वह व्यक्ति तो चकनाचूर कर देने वाली जगह में फेंक दिया जाएगा।
  • (5) और तुम क्या जानो कि क्या है वह चकनाचूर कर देने वाली जगह?
  • (6) अल्लाह की आग, खूब भड़काई हुई।
  • (7) जो दिलों तक पहुंचेगी।
  • (8) वह उन पर ढाँप कर बंद कर दी जाएगी।
  • (9) (इस हालत में कि वे) ऊँचे-ऊँचे स्तंभों में (घिरे हुए होंगे)

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