13 चीज़ों से रोज़ा नहीं टूटता है | रामज़ाम में किन चीज़ो से रोज़ा नहीं टूटता है जान लीजिये।
रमज़ान शरीफ़ के रोज़ों का बहुत बड़ा सवाब है। और बहुत सी फ़ज़ीलतें हदीस शरीफ़ में आई हैं जैसे- हुजूर रसूल करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया है कि "जो आदमी सिर्फ़ ख़ुदा तआला की खुशी के लिये रमज़ान शरीफ़ के रोज़े रखे तो उसके पिछले सब गुनाह मुआफ हो जायेंगे।" दूसरी हदीस में हुज़ूर रसूल करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया कि "रोज़ेदार के मुँह की भभक अल्लाह तआला के नज़दीक मुश्क की खुशबू से भी ज़्यादा है।" तीसरी हदीस में है कि "अल्लाह तआला फ़रमाता है कि रोज़ा ख़ास मेरे लिए है और मैं खुद उसका बदला दूंगा।" इसी तरह और भी बहुत सी फ़ज़ीलतें हदीसों में आई हैं।
2. एक शख्स को भूल कर कुछ खाते पीते देखा तो वह अगर इतना ताकत वाला है कि रोजे से ज्यादा तकलीफ नहीं होती तो रोजा याद दिलाना वाजिब है और अगर कोई बे -ताकत हो कि रोज़े से तक्लीफ़ होती है, तो उसको याद न दिलाये, खाने दे
3. दिन को सो गई और ऐसा सपना देखा, जिससे नहाने की जरूरत हो गई, तो रोजा नहीं टूटा।
4. दिन को सुर्मा लगाना, तेल लगाना, खुशबू सू घना दुरुस्त है, इससे रोजे में कुछ नुक्सान नहीं आता, चाहे जिस वक्त हो, बल्कि अगर सुर्मा लगाने के बाद थूक में या रॅट में सुमें का रंग दिखाई दे, तो भी रोजा नहीं गया, न मकरूह हुआ।
5. हलक़ के अंदर मक्खी चली गई हो या आप ही का थूक चला गया या गर्द व गुबार चला गया, तो रोजा नहीं गया
6. इत्र, क्योड़ा, गुलाब फूल वगैरह और खुशबू का सूघना, जिसमें धुवा न हो, दुरुस्त है। इससे रोज़ा नहीं जाता
7.दांतों में गोश्त का रेशा अटका हुआ था या डली का दोहरा वगैरह कोई और चीज थी, उसको खिलाल से निकालकर खा गयी, लेकिन मुंह से बाहर नहीं निकाला या आप ही आप हलक में चली गयी, तो देखो अगर चने से कम है, तो रोजा नहीं गया
8. थूक निगलने से रोजा नहीं जाता, चाहे जितना हो।
9. अगर पान खा कर खूब अच्छी तरह से कुल्ली करके मुँह साफ कर लिया, लेकिन थूक को सुर्खी नहीं गयी, तो इसका कुछ हरज नही, रोजा हो गया।
10. रात को नहाने की जरूरत हुई, मगर गुस्ल नहीं किया, दिन को नहायी तब भी रोजा हो गया, बल्कि अगर दिनभर न नहाये, तब भी रोजा नहीं जाता
11. नाक को इतने जोर से सुड़क लिया कि हलक़ में चली गयी, तो रोजा नहीं टूटता। इसी तरह मुंह की राल सुड़क के निगल जाने से रोजा नहीं जाता।
12.अगर मुँह भर के कै नहीं आयी तो रोज़ा नहीं गया थोड़ी-सी कै आयी, फिर आप ही आप हलक़ में लौट गयी, तब भी रोजा नहीं टूटा ।
13. खाना पकाने की वजह से बेहद प्यास लग जाये और इतनी बेताबी हो की जान पर बन जाये, तो रोज़ा खोल डालना दुरुस्त है ।