Al-Khabeer (अल-ख़बीर) सब से बाखबर
अल्लाह ख़बीर है । क्यों कि उसे तमाम चीजों की बारीकियों की खबर है। वह छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी चीज़ को हर वक्त पूरी तरह जानता है ।
कोई चीज़ उस से छुपी नहीं । वह दुनिया आखिरत के ज़र्रे ज़र्रे के हाल से बाखबर है, इस लिए उसे ख़बीर कहा जाता है ।
इस इस्म के जिक्र से तबीअत में यह असर पैदा होता है कि पढ़ने वाले का दिल अपनी बुराइयों से बा खबर हो कर उन्हें खत्म करने की कोशिश करने लगता है ।
आखिर अल्लाह तआला उसे बुराइयों से बचने की तौफीक अता फरमा देता है । इस इस्म की खूबियां इस तरह हैं-
- छुपे हुए राज़ जानने के लिए
नमाज़े तहज्जुद के बाद कसरत से यह इस्मे पाक पढ़ने से कश्फ का मर्तबा मिलता है । अल्लाह तआला के बहुत से राज़ उस पर खुलते हैं ।
इस इस्मे मुबारक को कसरत से पढ़ने वाला ख्वाब और जागते में पोशीदा (जो छिपा हुआ हो) हालात से बा खबर हो जाता है ।
अगर कोई शख्स हर रोज़ मग़रिब की नमाज के बाद 101 बार ‘या ख़बीरु’ (Ya Khabeeru) का विर्द कर के दुआ मांगे तो अल्लाह तआला बाज़ सूरतों में उस पर कई पोशीदा राज भी जाहिर कर देता है ।
- रिश्ते के बारे में जानने के लिए
अगर किसी का रिश्ता आया हो और घर वाले अच्छा या बुरा जानना चाहते हों तो लड़के या लड़की की वालिदा या वालिद इस इस्म को सात दिन तक तन्हाई में बैठ कर रोज़ाना 3248 मर्तबा पढ़े और बगैर बात किये सो जाए ।
इनशा अल्लाह उसे इशारा मिल जाएगा कि रिश्ता अच्छा है या बुरा? अगर बुरा हो तो रिश्ता न करें । क्यों कि बुरे रिश्तों से नुकसान होने का डर रहता है।
- कारोबार में नफा या नुकसान जानने के लिए
नया कारोबार या दुकान शुरू करने में नफा होगा था नुकसान या किसी के साथ शराकत (Partnership) करने में अच्छा होगा या बुरा?
ऐसे ही बहुत से कारोबारी मुआमलात हैं जिनमे अगर अल्लाह की मदद से पता चल जाए तो नुकसान से इन्सान बच सकता है ।
यह बातें मालूम करने के लिए ‘या ख़बीरु’ को सात दिन तक एक हजार मर्तबा पढ़ें । इनशा अल्लाह तआला जो बात दिल में होगी अल्लाह उस के बारे में आगाह कर देगा ।
- बुरी आदत छोड़ने के लिए
अगर कोई शख्स किसी बुरी आदत में फंस चुका हो उस से लोग तंग हो चुके हो तो उसे चाहिए कि ‘या ख़बीरु’ का विर्द करना शुरु कर दे ।
11 दिन तक लगातार यह विर्द करना बन्दे को बुरी आदतों से नजात दिला देता है ।
अगर कोई शख्स हर नमाज के बाद तीन सौ बार ‘या ख़बीरु’ का विर्द कर के दुआ मांगे तो अल्लाह तआला उस के ख्यालात को पाकीज़गी बख़्शता है और बुराई करने से हमेशा बचाए रखता है ।
- शैतान और अय्यार आदमी से बचने के लिए
जो शख़्स शैतान, मक्कार और अय्यार किस्म के लोगों की मक्कारी और फ़रेब से बचना चाहता हो और अल्लाह की रहमत चाहता हो तो उसे चाहिए कि इस इस्म को रोज़ाना 1100 मर्तबा पढ़े ।
इनशा अल्लाह शैतान के जाल में नहीं फेसेगा और दूसरे लोगों से धोका नहीं खाएगा ।
- नफ़्स को काबू में रखने के लिए
अगर कोई शख्स नफ़्स के हाथों तंग हो तो उसे इस इस्मे मुबारक का रोज़ाना विर्द करना चाहिए । इस इस्मे पाक को कसरत से पढ़ते रहने से नफ़्स काबू में रहता है और ज़हन बुरे ख्यालात से पाक रहता है ।
हर नमाज़ के बाद 300 मर्तबा ‘या ख़बीरु’ पढ़ने से इनशा अल्लाह बहुत फायदा होगा ।
- मरीज़ का मरज़ मालूम करने के लिए
मरज की तशखीस में अल्लाह की मदद जरुरी है । क्यों कि उस की मदद से ऐसी बीमारी का पता चल जाता है जो निहायत ही पेचीदा होती है और जल्दी से समझ में नहीं आती ।
इस लिए, अगर कोई डाक्टर या हकीम रोज़ाना इस इस्म को 312 मर्तबा पढ़ने की आदत बनाले तो इनशा अल्लाह मरीज़ को देखते ही अल्लाह की रहमत से सही मरज़ का पता चल जाएगा ।